मुझे पता है कि आप ने वह संडे हो या मंडे- रोज़ खाओ अंडे वाला विज्ञापन बहुत बार देखा है, लेकिन आज कल चूंकि देश के कुछ हिस्सों में बर्ड-फ्लू के नाम से थोड़े भयभीत से हैं, इसलिए कुछ बातों की तरफ ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।
· विशेषज्ञों ने कच्चे एवं हॉफ-ब्वायलड ( raw and soft boiled eggs) अंडो से परहेज़ करने की सलाह दी है। जिन अंड़ों को उच्च तापमान पर पकाया नहीं जाता, उन के खाने से बर्ड-फ्लू के जीवाणु के इलावा टॉयफाड एवं अन्य जीवाणुओं से होने वाली बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है।
· बर्ड-फ्लू से बचने के लिए केवल पूरी तरह उबले अंडों (full boiled eggs) का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
· दूध में कच्चे अंडे डाल कर नहीं पीना चाहिए । आधे उबले अंडों ( half- boiled eggs) एवं ऐसे अंडे जिन का योक- अर्थात् वही पीला भाग- तरल सी अवस्था में बह रहा हो ( runny yolk) ,इन का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
· जो लोग बाहर खाते हैं उन्हें भी इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि अंडे से बनी सभी पकवानों को उच्च तापमान पर ही तैयार किया गया है। सामान्यतः एक हॉफ-ब्वायलड अंडे को तैयार होने में तीन मिनट, मीडियम ब्वायलड को पांच मिनट और फुल-ब्वायलड अंडे को तैयार होने में दस मिनट का समय लगता है।
· विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि केक खाना सुरक्षित है ...चूंकि उस में अंडा पड़ा होता है, लेकिन केक की बेकिंग के लिए 200डिग्री सैल्सियस का तापमान चाहिए होता है, जिस के परिणामस्वरूप अंडे में मौजूद बैक्टीरिया एवं अन्य जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। यह ध्यान रहे कि हॉफ-ब्वायलड अंडे आम तौर पर रशियन सलाद जैसी प्रैपरेशन्स में डलते हैं।
· एक बात जो बहुत ही ज़रूरी है लेकिन कभी कोई इस तरफ कम ही ध्यान देता है ..वह यह है कि अंडों को इस्तेमाल करने से पहले धो लेना निहायत ही ज़रूरी है क्योंकि जीवाणु केवल अंडे के शैल ( shell of egg) के अंदर ही नहीं होते, ये शैल के बाहर भी मौजूद हो सकते हैं। और एक बात और भी इतनी ही ज़रूरी है कि कच्चे अंडों को हाथ लगाने के बाद भी हाथ धोना ज़रूरी है।
So, take care !!
4 comments:
डाक्टर साहब, मैं तो अण्डा नहीं खाता पर पोस्ट में निहित खाद्य सामग्री को उच्च ताप पर जीवाणु रहित करना समझ में आया।
कुछ लोग बर्ड फ्लू के कारण सस्ते चिकन का इस आधार पर अधिक सेवन कर रहे हैं कि उसे कस कर कूकर में कुक कर लेते हैं। कितना उचित है उनका यह करना?
लेकिन यह जानकारी तो केवल अंडो तक ही सीमित है। सस्ते चिकन से तो मेरी समझ से बच कर रहने में ही समझदारी है।
achha laga
अण्डों के ऊपर एक सुरक्षात्मक कोटिंग होती है जो ऑक्सीजन को तो अंदर जाने देती है लेकिन बेक्टेरिया को अंदर जाने से रोकती है . जब आप अण्डों को धोते हैं तो यह कोटिंग (bloom) ख़त्म हो जाती है और बेक्टेरिया अंडे के अन्दर चले जाते है . इसमें पानी और आपके हाथ का प्रेशर भी बेक्टेरिया को अन्दर धकेलता है.इसीलिए इंग्लैंड और यूरोप में अंडे धो कर बेचना गैर कानूनी है और अमेरिका में अण्डों को फार्म में ही खास तरीके से धोना अनिवार्य है. अगर अंडें गंदे भी हो तो उसे नहीं धोना चाहिए लेकिन अधिक तापमान पर ज़रूर उबलना या पकाना चाहिए.
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