Saturday, January 12, 2008

आप को आखिर कैमिस्ट से बिल मांगते हुए इतनी झिझक क्यों आती है ?


आप भी न्यूज़ मीडिया में अकसर नकली दवाईयों की खेप पकड़ने की खबरें देखते-सुनते रहते हैं , लेकिन अभी भी आप यही समझते हैं कि ये दवाईयों आप तक तो पहुंच ही नहीं सकतींतो, क्या आप नकली-असली में भेद जानने की काबलियत हासिल करना चाहते हैंअफसोस, दोस्त, मैं आप के जज़बात की कद्र करता हूं लेकिन मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आप कितनी भी कोशिशों के बावजूद ऐसा कर नहीं पाएंगेदोस्तो, हमें चिकित्सा के क्षेत्र में इतने साल हो गएयह काम अभी तक हम से भी नहीं हो सका !! तो फिर आप यही सोच रहे हैं कि आखिर करें तो करें क्या ---खाते रहे ऐसी वैसी दवाईया ? आखिर क्या करे आम बंदा ?-----दोस्तो, इस विषम समस्या से जूझने का केवल एक ही तरीका जो मैं समझ पाया हूं वह यह है कि आप कैमिस्ट से चाहे दस रूपये की भी दवाई लें,आप उस से बिल मांगने में कभी भी झिझक महसूस करें, प्लीज़आप यह समझ कर चलें कि जब आप बिल की मांग करेंगे तो आप को दवाई भी असली ही मिलेगी----नकली दवाई तो मिलने का फिर सवाल ही नहीं उठता,क्योंकि कैमिस्ट को उस बिल में दवाई के बारे में पूरा ब्यौरा देना पड़ता हैअगर हम इतनी सी सावधानी बरत लेंगे तो हमें पास की किसी बस्ती में बनी दवाईयों खरीदने से भी निजात मिल जाएगी


एक बात और जिस का विशेष ध्यान रखें वह यह है कि बसों वगैरह में जो सेल्स-मैन दर्द-निवारक दवाईयों के पत्ते बेचने आते हैं , उन से कभी भी ये दवाईयां खरीदेंचाहे ये सेल्समैन किसी IIM institute से नहीं निकले होते, फिर भी इन बंदों की salesmanship की दाद दिए मैं नहीं रह सकता----ठीक वही बात, दोस्तो, कि वे तो बिना बालों वाले को भी कंघी बेच डालें ! फिर भी मुझे,दोस्तो, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा कि ये बलाग्स लिखने-पढ़ने वाले उन की बातों में सकते हैंलेकिन फिर भी मैं यह सब लिख रहा हूं ताकि आप के माध्यम से यह जानकारी आम इंसान तक पहुंच सके


दोस्तो, एक विचार जो मुझे कुछ दिनों से परेशान कर रहा है ,वह यह है कि कहीं आप को मेरी posts पढ़ कर यह तो नहीं लगता कि ये सब छोटी छोटी बातें जो मैं अकसर उठाता रहता हूं, यह तो सब को पहले ही से पता हैं..........दोस्तो, मेरा तो बस इतना सा तुच्छ प्रयास है कि ठीक है पता हैं तो अब इन को प्रैक्टीकल शेप दीजिए ----और अपने आसपास भी इन छोटी छोटी दिखने वाली बातों के प्रति जनचेतना पैदा करेंबस, दोस्तो मेरे पास यही छोटी छोटी बातें ही हैं-----जिस बंदे ने बस अपनी सारी ज़िंदगी इन छोटी-छोटी बातों के प्रचार-प्रसार के नाम लिख दी है, उस से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है ??।


दोस्तो, आप से एक रिक्वेस्ट है कि कृपया मुझे अपनी मेल कर के अथवा अपनी टिप्पणी/ feedback में यह भी लिखें कि इस बलाग के माध्यम से किन मुद्दों को छूया जाएवैसे तो मैं यह स्पष्ट कर ही दूं कि मैं कोई ऐसा तीसमार खां भी नहीं हूं---बस जो दो बातें पता हैं उन्हें आप सब से शेयर कर के अच्छा लगता है, बस और कुछ नहींबाकी सब बातें तो मैंने आप सब से सीखनी हैं..................obviously in this wonderful platform of blogging…..where we understand, share and learn from each other’s wisdom and experience.

2 comments:

Neeraj Rohilla said...

डाक्टर साहब,
आपका प्रयास सराहनीय, आप अपने प्रयासों को जारी रखिये । लोग टिप्पणी भले ही न करें लेकिन आपके ब्लाग को पढ अवश्य रहे होंगे । दूसरे, आपका लिखा हुआ अगर कोई ६ महीने या एक साल बाद भी पढेगा तो भी उसे फ़ायदा ही होगा । मैं आपसे निम्न विषयों पर लिखने की गुजारिश करूँगा ।

१) शराब पीना: लेकिन मैं इस विषय पर आपका लेख सामाजिक परिपेक्ष में नहीं बल्कि ठेठ चिकित्सा विज्ञान की नजर से जानना चाहूँगा ।

२) दमे/अस्थमा की बीमारी: मेरे परिवार के एक सदस्य इस बीमारी से पीडित हैं इसलिये मैं इस विषय पर और जानकारी चाहूँगा ।

साभार,

kkirankharat said...

I WANT TO STOP NIGHTFALL. WHEN I LEARNING IN 8TH STANDARD THEN I WAS STARTED TO MASTURBATING. I ALWAYS WATCHING BLUE FILM, THEREFORE I CANT TO STOP MASTURBATE. EVERY WEEK 4/5 TIMES I MASTURBATE. NOW AFTER 7 DAYS REGULARLY NIGHTFALL.