स्वाभाविक प्रश्न है कि जब मुंह में ये छाले हो ही जायें, तो इन का इलाज कैसे किया जाये। इन के इलाज के लिये जो बात समझनी सब से महत्त्वपूर्ण है वह यही है कि इन छालों को ठीक करना किसी डाक्टर के वश की बात तो है नहीं....क्योंकि अन्य बीमारियों की तरह प्रकृति ही इन से निजात दिलाने में हमारी मदद करती है। हम ने तो सिर्फ़ मुंह में एक ऐसा वातावरण मुहैया करवाना है जो कि इन छालों को शीघ्रअतिशीघ्र ठीक होने में (हीलिंग) मदद करे।
सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब हम लोग मुंह के इन छालों से परेशान हों तो हमें अपना खान-पान बिल्कुल बलैंड सा रखना होगा.....बलैंड से मतलब है बिल्कुल मिर्च-मसालों से रहित। मैं अपने मरीज़ों को ऐसे खान-पान के लिये प्रेरित यह कह कर करता हूं कि अगर हमारे चमड़ी पर कोई घाव है तो उस पर नमक लग जाये तो क्या होता है, ठीक उसी प्रकार ही मुंह में छाले होने पर भी अगर मिर्च-मसाले वाला खाना खाया जायेगा तो कैसे होगी फॉस्ट हीलिंग ?
और , दूसरी बात यह है कि मुंह के इन छालों पर कोई भी दर्द-निवारक ऐंसीसैप्टिक ड्राप्स लगा देने चाहियें......ऐसे ड्राप्स अथवा अब तो इन्हीं नाम से ट्यूब रूप में भी दवायें आने लगी हैं....कुछ के नाम मैं लिख रहा हूं.......Dentogel, Dologel, Zytee, Emergel, Gelora ORAL ANALGESIC / ANTISEPTIC GEL…….ये पांच नाम हैं जिन को कि मैं हज़ारों मरीज़ों के ऊपर इस्तेमाल कर चुका हूं। ( Please note that there is no commercial interest of mine involved in telling you all this…….you may find and use anyone which you feel is more suitable…. as long as it serves your purpose. Just telling you this because I an very much against all such endorsements !) …….नोट करें कि इन का भी काम मुंह के छाले को भरना नहीं है....ये केवल आप को उस छाले से दर्द से कुछ समय के लिये राहत दिला देती हैं। इन पांचों में से आप किसी भी एक दवाई को लेकर दिन में दो-चार बार छालों पर लगा सकते हैं। वैसे विशेष रूप से खाना खाने से पांच मिनट पहले तो इस दवाई का प्रयोग ज़रूर कर लें। और हां, दो-चार मिनट के बाद थूक दें। लेकिन बाई-चांस अगर कभी कभार गलती से एक-आध ड्राप निगल भी ली जाये तो इतना टेंशन लेने की कोई बात नहीं होती।
अब आते हैं इन मुंह के छालों के इलाज के लिये उपयोग होने वाली एंटीबायोटिक दवाईयों पर। वास्तव में ये मुंह के छाले वाला टापिक इतना विशाल है कि स्ट्रेट-फारवर्ड तरीके से सीधा कह देना कि एंटीबायोटिक दवाईयां लेनी हैं कि नहीं ....कुछ कठिन सा ही काम है। जैसे जैसे मैं इस सीरिज़ में आगे बढूंगा तो हम देख कर हैरान रह जायेंगे कि इन मुंह के छालों की भी इतनी श्रेणीयां हैं और इन का इलाज भी इतना अलग अलग किस्म का। अभी तो मैं केवल बात कर रहा हूं उन छालों को जो लोगों को यूं ही कभी कभी परेशान करते रहते हैं....इन में किसी एंटीबायोटिक दवाईयों का कोई स्थान नहीं है। लेकिन अगर इन छालों की वजह से थूक निगलने में दिक्कत होने लगे या जबाड़े के नीचे गोटियां सी आ जायें( Lymphadenitis……lymph nodes का बढ़ जाना और दर्द करना) ...तो एंटीबायोटिक दवाईयां 3-4दिनों के लिये लेनी पड़ सकती हैं।
और आप कोई दर्दनिवारक टीकिया भी अपनी आवश्यकतानुसार ले सकते हैं।
कईं प्रैस्क्रिप्श्नज़ देखता हूं जिन में मैट्रोनिडाज़ोल की गोलियों का कोर्स करने की सलाह दी गई होती है। मेरे विचार में इन गोलियों को इन मुंह के छालों के लिये नहीं लेना चाहिये।
मल्टी-विटामिन टैबलेट लोग अकसर गटकनी शुरू कर देते हैं.....ठीक हैं, अगर किसी को इस से सैटीस्फैक्शन मिलती है तो बहुत अच्छा है। लेकिन मेरा तो दृढ़ विश्वास यही है कि अगर विटामिन सी की जगह कोई मौसंबी, कीनू, संतरे का जूस पी लिया जाये, य़ा तो नींबू-पानी ही पी लिया जाये या आंवले का किसी भी रूप में सेवन कर लिया जाये तो वो शायद सैंकड़ो गुणा बेहतर होगा। एक बात और कहना चाहूंगा कि जब मेरे पास ऐसे मरीज़ आते हैं तो मैं तो इस मौके को उन की खान-पान की आदतें बदलने के लिये खूब इस्तेमाल करता हूं। जैसे कि किसी को अगर आप ने अंकुरित दालें खाने के लिये प्रेरित करना हो तो इस से बेहतर और क्या मौका हो सकता है। शायद जब वे ठीक ठाक हों तो आप की इस सलाह को हंस कर टाल दें....लेकिन जब वे मुंह के छालों से परेशान हैं तो वे कुछ भी करने को तैयार होते हैं। ऐसे में उन को इस तरह की प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल के लिये प्रेरित करना और संतुलित आहार लेने की बातें वे खुशी खुशी पचा लेते हैं। एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात तो बतानी पिछली पोस्ट में भूल ही गया था कि ये जो अंकुरित दालें हैं ना ये विटामिनों से पूरी तरह से विशेषकर बी-कंप्लैक्स विटामिनों से भरपूर होते हैं। इसलिये इन्हें Power Dynamos भी कहा जाता है।
मुझे ख्याल आ रहा है कि मैंने पिछली पोस्ट में एक होस्टल में रह रहे 20-22 के लड़के की बात की थी......लेकिन बात वही है कि होस्टल में तो कुछ भी हो, हमें मैदे जैसे आटे की ही रोटियां मिलने वाली हैं। तो , ऐसे में उस लड़के को यह भी ज़रूर चाहिये कि वह खुद सलाद बना कर खाया करे,अपने रूम में ही अंकुरित दाल तैयार किया करे ( आज कल तो रिलांयस ग्रीन के स्टोर पर भी ये अंकुरित दालें मिलने लगी हैं) और हां, दो-तीन मौसमी रेशेदार फल ज़रूर ज़रूर खाया करें। इस से कब्ज की भी शिकायत न होगी और संतुलित आहार मिलने से मुंह की चमड़ी भी हृष्ट-पुष्ट हो जायेगी जिस से कि उस में छाले बनने की फ्रिकवैंसी धीरे धीरे कम हो जायेगी। सीधी सी बात है कि यहां भी काम हमारी इम्यूनिटी ही कर रही है....अगर अच्छी है तो हम इन छोटी मोटी परेशानियों से बचे रहते हैं।
अगली बात यह है कि मुंह में चाहे छाले हों, लेकिन धीरे धीरे हमें अपने दांतों को रोज़ाना दो बार ब्रुश तो अवश्य करना ही चाहिये। थोड़ा बच कर कर लें ताकि किसी छाले को न ज्यादा छेड़ दें। लेकिन इस के साथ ही साथ जुबान को रोज़ाना साफ करना निहायत ही ज़रूरी है....क्योंकि हमारी जुबान की कोटिंग पर अरबों-खरबों जीवाणु डेरा जमाये रहते हैं जिन से रोज़ाना निजात पानी बहुत आवश्यक है....नहीं तो ये दुर्गंध तो पैदा करते ही हैं और साथ ही साथ इन छालों को भी जल्दी ठीक नहीं होने देते। इन मुंह के छालों के होते हुये भी मैं जुबान की सफाई की सिफारिश इसलिये भी कर रहा हूं कि अकसर ये घाव/छाले जुबान की ऊपरी सतह पर नहीं होते हैं। लेकिन अगर कभी इस सतह पर भी छाले हैं तो आप दो-तीन दिन इस टंग-क्लीनर को इस्तेमाल न करियेगा।
अब बात आती है......बीटाडीन से कुल्ले करने की। अगर आप छालों की वजह से ज़्यादा ही परेशान हैं तो Betadine ….Mouth gargle से दिन में दो-बार कुल्ले कर लेने बहुत लाभदायक हैं........हमेशा के लिये नहीं............केवल उन एक दो –दिन दिनों के लिये ही जिन दिनों आप इन छालों से परेशान हैं। लेकिन रात के समय सोने से पहले इन छालों वालों दो-चार दिनों में इस बीटाडीन गार्गल से कुल्ला कर लेने बहुत लाभदायक है। यह भी आप की आवश्यकता के ऊपर निर्भर करता है...मेरे बहुत से मरीज़ फिटकरी वाले गुनगुने पानी से ही कुल्ले कर के खुश रहते हैं तो मैं भी उन की खुशी में खुश हो लेता हूं.....।
अब जाते जाते एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि बहुत से लोग कुछ कुछ देसी तरह की चीज़े जैसे हल्दी , मलाई, ग्लैसरीन इन छालों के ऊपर लगाते रहते हैं....उन्हें इन से आराम मिलता है ....बहुत बढिया बात है....आयुर्वेद में और भी तो बहुत सी चीज़ें हैं जो हम लोगों को इन छालों के ऊपर लगाने के लिये अपने रसोई-घर से ही मिल जाती हैं , इन का भरपूर इस्तेमाल किया जाना चाहिये। ये दादी के नुस्खे नहीं हैं.....दादी की लक्कड़दादी भी ज़रूर इन्हें ही इस्तेमाल करती थी। लेकिन बस एक चीज़ से हमेशा बचें........कभी भूल कर भी एसप्रिन की गोली पीस कर मुंह में न रख लें.........भयंकर परिणाम हो जायेंगे......छालों से राहत तो दूर, मुंह की सारी चमड़ी जल जायेगी।
So, take care !! पोस्ट लंबी है लेकिन निचोड़ यही है कि इन छालों की इतनी टेंशन न लिया करें। और जितने भी प्रश्न हों, खुल कर टिप्पणी में लिख दें या ई-मेल करें....एक-दो दिन में जवाब आप के पास अगली पोस्ट के रूप में पहुंच जायेगा। बस, अपने खान-पान का ध्यान रखा करें और तंबाकू-गुटखा-पानमसाला के पाऊच बाहर किसी गटर में आज ही फैंक दें।
Friday, March 28, 2008
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13 comments:
संभाल कर रखने वाली पोस्ट की शुरूवात हो चुकी है..
मैंने तो सेव कर लिया है.. आप लिखते रहें.. :)
धन्यवाद.
ध्न्यवाद आप के अगले लेख का इन्तजार हे.
श्रीमती रीता पाण्डेय बड़े ध्यान से यह पोस्ट पढ़ कर गयी है।
धन्यवाद डा. साहब।
मेरे मुंह में हमेशा घाव या अल्सर रहते हैं एक ठीक होता है तो दूसरी जगह एक और हो जाता है कृपया कोई दावा बताएं
Likoplekia muh me chale hai our ghaw hai
मेरे मुँह मैं बार बार छाले होते है ।एक ठीक होता तो दूसरा
हो जाता है। कृपया कोई दवा बताये जिसे टिक हो जाय।।।
bhai main bhi paresan hu 9575408746
Dr. I am suffering from this disease beca
Because i used tobacco and gutaka.main dard se kafi pareshaan hoo .suggest me please what should i do
Mere mouth me chhala hua tha .jiska ab dard jlan to thik ho gya but chhala thik nhi ho RHA hai 40 din ho gye .medical se medicine v li hai ab Kya kri
Mere mout me chhala hua hi dard hitik nhi ho rha hai 7din ho gaye ky a kri
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